सोलन शहर का जतोली मंदिर, एशिया का सबसे ऊंचा और कला का बेजोड़ नमूना
पौराणिक मान्यता है कि भगवान शिव कुछ समय के लिए यहां पर रुके थे । बाद में एक सिद्ध बाबा स्वामी कृष्णानंद परमहंस ने 1950 में यहां आकर तपस्या की। जिनके मार्गदर्शन और दिशा-निर्देश पर ही यहां मंदिर का निर्माण शुरू हुआ।
ऐसा माना जाता है कि यहां के लोगों को पानी की समस्या से जूझना पड़ा था, जिसे देखते हुए स्वामी जी ने भगवान शिव की घोर तपस्या को और त्रिशूल के प्रहार से जमीन में से पानी निकाला। इसके बाद कभी भी यहां पानी की कमी नहीं हुई है।
यह शिव मंदिर दक्षिण-द्रविड़ शैली से बना हुआ है जिसे बनने के लिए तकरीबन 39 साल लगे हैं।
इसे एशिया का सबसे ऊंचा शिव मंदिर माना जाता है। मंदिर का शिखर 111 फीट ऊंचा है। मंदिर के शिखर पर स्थित 11 फीट का स्वर्ण कलश इसकी सुंदरता में चार चांद लगा देता है। मंदिर के तीन मंडप है, प्रथम मंडप में श्री गणेश, द्वितीय में श्री विष्णु तथा अंतिम एवं मुख्य मंडप के गर्भ गृह में भगवान शिव की स्फटिक शिवलिंग प्रतिष्ठित है।
स्वामी जी की मूर्ति को कमलासन दिखाया गया है और दीवारों कि नक्काशी सहज ही मन मोह लेती है। मंदिर के निकट ही एक कुंड है जिसके जल को समस्त व्याधियों से मुक्ति देने वाला मना जाता है।
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